Dashrath Manjhi Biography in Hindi | दशरथ मांझी का जीवन परिचय ! - MY THINKING

Dashrath Manjhi Biography in Hindi | दशरथ मांझी का जीवन परिचय !


Dashrath Manjhi- Dashrath Manjhi The Mountain Man को आज हर कोई जनता है कुछ समय पहले आयी फ़िल्म मांझी द माउंटेन मैन के द्वारा हर कोई उनके जीवन को बहुत करीब से जान पाया है इस फिल्म में दशरथ मांझी का किरदार निभाने वाले एक्टर नवाजुद्दीन सिद्दीकी थे ! बिहार के एक छोटे से गांव गहलौर के रहने वाले दशरथ मांझी ने एक इतना बड़ा आश्चर्यचकित कार्य किया है ! जिसकी कोई कल्पना भी नहीं कर सकता था ! इन्होंने अपने गांव से लेकर शहर तक का रास्ता बनाने के लिए 360 फिट लम्बे, 30 फिट चौड़े व 25 फिट ऊँचे पहाड़ को अकेले ही एक हथोड़ा और छेनी के सहारे तोड़ कर रास्ता बना डाला !
Dashrath Manjhi Biography in hindi, Dashyath manjhi story in hindi
Dashrath Manjhi The Mountain Man Biography 

Dashrath Manjhi Biography in Hindi | दशरथ मांझी का जीवन परिचय !


दशरथ मांझी का  जन्म 14 जनवरी 1929 को बिहार के गाँव गहलौर मे हुआ था ! जब दशरथ मांझी का जन्म हुआ तब देश अंग्रेज़ों का गुलाम था पुरे देश के साथ साथ इस गाँव के भी बहुत बुरे हालत थे ! 1947 मे देश तो आज़ाद हो जाता है लेकिन इसके बाद धनी लोगो की गिरफ्त मे चला जाता है ! हर तरफ अमीर ज़मीदार अपना हक़ जमाये रहते है, गरीब और बिना पढ़े लिखें लोगो को परेशान करते है, मांझी का परिवार भी बहुत गरीब था एक वक़्त की रोटी के लिये इनके पिता बहुत मेहनत किया करते थे ! दशरथ मांझी का बाल विवाह भी हुआ था ! देश को आज़ादी मिलने के बाद भी गहलौर गाँव मे ना तो बिजली थी ना ही पानी था ना ही पक्की सड़के थी और ना ही कोई अस्पताल था ! दशरथ के गाँव को लोगो को पानी के लिये बहुत दूर जाना होता था ! यहां तक की अस्पताल के लिये भी पहाड़ चढ़ कर शहर जाना पड़ता था जिसमे बहुत ज़्यादा समय लगता था !
मांझी के पिता ने गाँव के ज़मीदार से पैसे लिये थे जिसे वह लौटा नहीं पाये थे ! बदले मे दशरथ के पिता दशरथ को उस ज़मीदार का बधुआ मज़दूर बनने को बोलते हैं ! मांझी को किसी की गुलामी पसंद नहीं थी ! इसलिये वह गाँव छोड़कर भाग जाता हैं ! अपने गाँव से दूर वह  धनवाद में कोयले की खदान में काम करने लगता हैं ! 7 साल वहा काम करने के बाद उसे अपने परिवार की याद सताने लगती हैं और वह फिर अपने गाँव वापस लौट आता हैं !
1955 के लगभग जब वह वापस अपने गाँव लौटता हैं तब भी वहा गाँव वैसा का वैसा ही होता हैं ना वहा बिजली होती हैं ना पक्की सड़के और ना ही कोई अस्पताल होता हैं ! वहा अभी भी गरीबी और ज़मीदारी होती हैं ! दशरथ के इस गाँव में छुआ छूत जैसी कुप्रथा बहुत थी ! जब दशरथ लौट कर आता हैं तब तक उसकी माँ गुज़र चुकी होती हैं ! मांझी अपने पिता के साथ जीवन बसर करने लगता हैं ! तभी उसे एक लड़की पसंद आती हैं ये वही लड़की होती हैं जिससे बचपन में दशरथ का विवाह हुआ था ! मगर अब लड़की का पिता उसकी बचपन की शादी को नहीं मानता हैं ! क्यूंकि उसके अनुसार दशरथ कुछ काम काज नहीं करता हैं ! अपने प्यार के खातिर मांझी फगुनिया को भगा ले आता हैं ! दोनों एक अच्छे पति पत्नी की तरह जीवन बिताने लगते हैं ! मांझी अपनी पत्नी से बहुत प्यार करता था,  दशरथ को एक बेटा भी होता हैं ! 1960 में दशरथ मांझी की पत्नी एक बार फिर गर्भवती होती हैं ! इस समय दशरथ को पहाड़ के उस पार काम मिल जाता हैं, उसकी पत्नी फगुनिया रोज़ उसे खाना देने जाती हैं एक दिन अचानक पहाड़ से उसका पैर फिसल जाता हैं ! और वह निचे गिर जाती हैं, दशरथ के गाँव में कोई अस्पताल ना होने के कारण वह बड़ी मुश्किल से पहाड़ चढ़कर उसे शहर के अस्पताल ले जाता हैं, जहाँ वह एक लड़की को जन्म देती हैं, लेकिन खुद मर जाती हैं, दशरथ इस बात से बहुत दुखी होता हैं, और फगुनिया से वादा करता हैं की वह इस पहाड़ को तोड़कर रास्ता ज़रूर बनाएगा, सच्ची मोहब्बत क्या होती हैं ये कोई दशरथ मांझी के इस आश्चर्यचकित काम को देखे, 1960 से शुरू हुआ दशरथ मांझी का यह प्रण एक हथोड़ी और छेनी के सहारे था !

Dashrath Manjhi -The Mountain Man Story | दशरथ मांझी-पहाड़ आदमी की कहानी


इरादे मज़बूत हो तो इंसान कुछ भी कर सकता है दशरथ मांझी रोज़ सुबह उठकर अपना हथोड़ा और छेनी लेकर पहाड़ तोड़ने निकल जाता था | वह ऐसे काम कर रहा था जैसे उसको इसके पैसे मिलेंगे, यह सब देख लोग उसे पागल सनकी कहते थे | लेकिन वह किसी की नहीं सुनता था और पहाड़ तोड़ने लगता था | इसी वजह से सब लोग उसे पहाड़तोड़ू कहने लगे थे | दशरथ के पिता उसे समझाते थे की यह सब करने से उसके बच्चों का पेट कैसे भरेगा, लेकिन वह नहीं सुनता था, किसी तरह कुछ पैसे कमा कर बच्चों का पेट भी भर दिया करता था, ऐसा करते करते कई साल बीत गए और फिर गाँव मे सूखा पड़ जाता हैं, सब लोग गाँव छोड़कर जाने लगते है लेकिन दशरथ नहीं जाता है वह अपने पिता और बच्चों को भेज देता हैं, इस सूखे की वजह से दशरथ को गन्दा पानी पीकर और पत्तियाँ खाकर गुज़ारा करना पड़ता हैं | समय के साथ सूखे के दिन भी बीत जाते हैं और सभी गाँव के लोग गाँव में वापस आजाते हैं, और अब भी दशरथ को पहाड़ तोड़ता देख सभी लोग आश्चर्य चकित हो जाते हैं !

1975 Emergency Time | आपातकाल का समय


1975 में इंदिरा गाँधी द्वारा लगायी गयी इमरजेंसी में  पूरा देश प्रभावित हुआ था, सब जगह हाहाकार मचा था | अपनी एक रैली में इंदिरा गाँधी बिहार पहुँचती हैं जहाँ दशरथ भी जाता हैं,  भाषण के दौरान स्टेज टूट जाता हैं जिसे दशरथ और कुछ लोग मिलकर संभाल लेते हैं, जिससे इंदिरा गाँधी अपना भाषण पूरा कर पाती हैं, इसके दशरथ मांझी उनके साथ एक फोटो खिंचवाता हैं ! जब यह बात वहा के  ज़मीदार को पता चलती हैं, तो वह मांझी को अपनी मीठी बातो में फसाता हैं, की वह उसकी मदद करेगा सरकार से सड़क के लिये पैसे मांगने में भोला भाला अनपढ़ दशरथ उसकी बातो में आकर अंगूठा लगा देता हैं | लेकिन जब दशरथ मांझी को यह पता चलता हैं की ज़मीदार ने उसे 25 लाख का चुना लगाया हैं तो वह उसकी शिकायत प्रधानमंत्री से करने की ठान लेता हैं !

Dashrath Manjhi Bihar to Delhi | दशरथ मांझी बिहार से दिल्ली


जब दशरथ ज़मीदार की शिकायत प्रधानमंत्री से करने के लिये बिहार से दिल्ली के लिये ट्रैन से  रवाना होता हैं, तब मांझी के पास 20 रूपये भी नहीं होते हैं जिस वजह से टीटी उसे ट्रैन से उतार देता हैं, यह बात दशरथ को रोक नहीं पाती हैं और वह निकल पड़ता हैं दिल्ली के लिये, दिल्ली मे उस समय इमरजेंसी की वजह से बहुत दंगे हो रहे थे, इंदिरा गाँधी से मिलने जाते समय जब दिल्ली मे दशरथ को पुलिस पकड़ लेती हैं क्यूंकि दिल्ली मे बहुत फसाद हो रहा होता हैं, तो दशरथ जब पुलिस को इंदिरा गाँधी के साथ अपनी फोटो दिखाता हैं, तब पुलिस उस फोटो को फाड़ देती हैं और उसे वहा से भगा देती हैं प्रधानमंत्री से मिलने नहीं देती हैं !

Dashrath Manjhi Returns to Bihar | दशरथ मांझी का बिहार लौट आना


प्रधानमंत्री से ना मिल पाने के बाद जब दशरथ वापस अपने गाँव थक हार कर लौट आता हैं, उसकी सारी उम्मीद टूट चुकी होती हैं, वह अब काफ़ी बूढ़ा भी हो गया होता हैं उसकी हिम्मत जवाब देने लगती हैं, लेकिन कुछ लोग दशरथ का साथ देने के लिये आगे आते हैं, और पहाड़ तोड़ने में उसकी मदद करते हैं, जब यह बात ज़मीदार को पता चलती हैं तो वह उन सबको मार डालने की धमकी देता हैं, और तो और  दशरथ मांझी और उसके साथ पहाड़ तोड़ने में मदद कर रहे कुछ लोगो को भी गिरफ्तार करा देता हैं, लेकिन एक पत्रकार दशरथ मांझी के लिये मसीहा बनकर आता हैं, और वह उसके लिये खड़ा होता हैं, वह सभी गाँव वालो के साथ मिलकर दशरथ के लिये  पुलिस स्टेशन के सामने विरोध करता हैं, दशरथ को छोड़ दिया जाता हैं !

Dasarath Manjhi was successful in 1982 | दशरथ manjhi को 1982 में सफलता प्राप्त  हुई 



सन 1960 में दशरथ मांझी ने पहाड़ तोड़ना शुरू किया था, 360 फिट लम्बे, 30 फिट चौड़े व 25 फिट ऊँचे पहाड़ को अकेले ही एक हथोड़ा और छेनी के सहारे तोड़ कर रास्ता बना डालता हैं, 55 km लम्बे रास्ते को 15 km के रास्ते में बदल देता हैं, दशरथ मांझी की बदौलत ही सरकार उस जगह पर ध्यान देती हैं और कार्य शुरू करा देती हैं ! दशरथ मांझी को अपना लक्ष्य प्राप्त करने में 22 साल लगे लेकिन उन्होने हार नहीं मानी और नामुमकिन काम को मुमकिन करके दिखाया ! मांझी की मेहनत रंग लाती हैं और पहाड़ टूट कर रास्ता बन जाता हैं, यह सफलता उन्हें 1982 प्राप्त होती हैं,

Dashrath Manjhi's death | दशरथ मांझी की मृत्यु 


17 अगस्त 2007 को दशरथ मांझी की गॉलब्लेडर में कैंसर होने की वजह से दिल्ली में उनकी मृत्यु हो जाती हैं, मरने से पहले दशरथ मांझी अपनी ज़िन्दगी पर फ़िल्म बनाने की अनुमति देकर जाता हैं, वह चाहता था की उसकी इस कहानी से दूसरे लोग भी प्रभावित हो सके | बिहार सरकार ने इनके मरने पर राज्य शोक घोषित किया था, 2011 में उस सड़क को दशरथ मांझी पथ नाम दिया गया, ऐसे लोगो से हमें यह प्रेरणा मिलती हैं की हालात कैसे भी हो हमें ज़िन्दगी में कभी हार नहीं माननी चाहिये अगर हमारे इरादे मज़बूत हैं तो आज नहीं तो कल सफलता ज़रूर मिलेगी दशरथ मांझी को इस असंभव कार्य को संभव बनाने के लिये हम सबका दिल से सलाम !!


Note: -  Dashrath Manjhi Biography  in hindi कैसी लगी आप सबको प्लीज कमेंट करके जरूर बताएं और हमारे द्वारा लिखे गए  आर्टिकल में आपको कोई भी कमी नजर आती है तो हमें कमेंट करके जरूर बताएं हम उसमें सुधार करके अपडेट कर देंगे | अगर आपको हमारे आर्टिकल पसंद आए तो इसे Facebook,  WhatsApp और अपने दोस्तों में जरूर शेयर करें !

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