Shreyas Iyer Biography in Hindi। श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय - MY THINKING

Shreyas Iyer Biography in Hindi। श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय

Shreyas Iyer - श्रेयस अय्यर भारतीय क्रिकेट का वह सितारा हैं जिन्होंने अपनी लगन और मेहनत से कम उम्र में ही टीम इंडिया में जगह बनाई। मुंबई में जन्मे श्रेयस को बचपन से ही क्रिकेट का जुनून था और आज वे अपनी क्लासिक बल्लेबाजी और जिम्मेदाराना खेल की वजह से मिडिल ऑर्डर के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिने जाते हैं।


Shreyas Iyer Biography in Hindi। श्रेयस अय्यर का जीवन परिचय

Shreyas Iyer Biography in Hindi
Shreyas Iyer Biography in Hindi


Introduction (परिचय)
 

भारतीय क्रिकेट टीम में कई ऐसे सितारे हैं जिन्होंने अपने प्रदर्शन से न केवल टीम का नाम रोशन किया है बल्कि करोड़ों भारतीयों के दिलों में भी जगह बनाई है। ऐसे ही खिलाड़ियों में एक नाम है श्रेयस संतोष अय्यर (Shreyas Santosh Iyer) का।
शानदार बल्लेबाज, जिम्मेदार कप्तान और एक बेहतरीन फील्डर के रूप में श्रेयस अय्यर ने खुद को भारतीय क्रिकेट का अभिन्न हिस्सा साबित किया है। उनकी बल्लेबाजी में आक्रामकता और शांति दोनों का सुंदर मेल देखने को मिलता है। घरेलू क्रिकेट से लेकर अंतरराष्ट्रीय मंच तक श्रेयस ने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।
श्रेयस अय्यर की सबसे बड़ी ताकत है कठिन परिस्थितियों में टिककर खेलना और अपनी टीम को संभालना। उनकी बल्लेबाजी में जहाँ आक्रामकता है, वहीं धैर्य और जिम्मेदारी की झलक भी दिखाई देती है। यही कारण है कि वे आज भारतीय क्रिकेट टीम के मिडिल ऑर्डर के सबसे भरोसेमंद बल्लेबाजों में गिने जाते हैं और भविष्य में टीम इंडिया के स्तंभ बनने की क्षमता रखते हैं।

Birth and Early Life (जन्म और प्रारंभिक जीवन)


श्रेयस संतोष अय्यर का जन्म 6 दिसंबर 1994 को महाराष्ट्र की राजधानी मुंबई में हुआ। उनका परिवार दक्षिण भारत से ताल्लुक रखता है, उनके पिता संतोष अय्यर मूल रूप से केरल के पालक्काड़ जिले से हैं, जबकि उनकी माँ रोहिणी अय्यर का जन्म और पालन-पोषण मुंबई में ही हुआ। इसी वजह से उनके जीवन में दक्षिण भारतीय संस्कारों और मुंबई की आधुनिकता का अनोखा मेल देखने को मिलता है।

श्रेयस का बचपन मुंबई के शिवाजी पार्क के आसपास बीता, जो क्रिकेटरों की नर्सरी कहा जाता है। यहीं से उन्होंने बल्ले और गेंद के खेल से गहरा रिश्ता बनाया। जब वे मात्र 12–13 साल के थे तभी उनकी क्रिकेट प्रतिभा को उनके दोस्तों और कोच ने पहचान लिया। उनके खेल में आत्मविश्वास और आक्रामकता शुरू से ही साफ दिखाई देती थी।

उनके पिता संतोष अय्यर हमेशा चाहते थे कि बेटा खेल की दुनिया में कुछ बड़ा करे। उन्होंने श्रेयस को बचपन से ही क्रिकेट खेलने के लिए प्रोत्साहित किया और उनके कोच प्रवीण अमरे ने उनकी बल्लेबाजी को निखारने में अहम भूमिका निभाई। अमरे ने श्रेयस की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें “भविष्य का सितारा” कहा था।

बचपन में श्रेयस अय्यर को अक्सर गली क्रिकेट में “यंग विराट” कहकर पुकारा जाता था क्योंकि उनकी बल्लेबाजी में विराट कोहली जैसी झलक नज़र आती थी। पढ़ाई के साथ-साथ उनका झुकाव पूरी तरह क्रिकेट की ओर रहा। जब उनके दोस्त खाली समय में खेल-खेल में क्रिकेट खेलते थे, तब श्रेयस गंभीरता से अभ्यास करते थे। यही समर्पण आगे चलकर उनके करियर की नींव बना।

इस तरह मुंबई के साधारण से माहौल में जन्मे और पले-बढ़े श्रेयस अय्यर ने बचपन से ही अपने खेल और जुनून से यह साबित कर दिया था कि आने वाले समय में वे भारतीय क्रिकेट को नई ऊँचाइयों तक ले जाने वाले हैं।


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Education (शिक्षा)


श्रेयस अय्यर की शुरुआती पढ़ाई डॉन बॉस्को हाई स्कूल, मातुंगा (मुंबई) से हुई। यह स्कूल अपनी पढ़ाई के साथ-साथ खेलकूद गतिविधियों के लिए भी प्रसिद्ध है। बचपन से ही पढ़ाई में वे सामान्य छात्र थे, लेकिन खेलों में विशेष रुचि रखते थे। अक्सर कक्षा में उनका ध्यान क्रिकेट से जुड़े ख्यालों में ही भटक जाता था। उनके अध्यापक भी यह समझ चुके थे कि श्रेयस का भविष्य पढ़ाई की बजाय खेल के मैदान में ज्यादा चमकेगा।

स्कूल में ही उनके क्रिकेट करियर की नींव पड़ी। यहाँ उन्होंने कई इंटर-स्कूल टूर्नामेंट्स में हिस्सा लिया और शानदार प्रदर्शन कर सबको चौंकाया। उनके कोच और शिक्षकों का कहना था कि जब श्रेयस बैटिंग करने उतरते थे तो पूरा माहौल बदल जाता था। उनकी बल्लेबाजी में आत्मविश्वास, तकनीक और शॉट सिलेक्शन इतना बेहतर था कि देखने वाले उन्हें भविष्य का अंतरराष्ट्रीय खिलाड़ी मानने लगे थे।

स्कूल की पढ़ाई पूरी करने के बाद श्रेयस ने अपनी उच्च शिक्षा आर. ए. पोदार कॉलेज ऑफ कॉमर्स एंड इकोनॉमिक्स, मुंबई से की। यह वही कॉलेज है जहाँ से कई और मशहूर खिलाड़ी भी निकल चुके हैं। कॉलेज जीवन में भी उनका रुझान पढ़ाई की तुलना में क्रिकेट की ओर ही ज्यादा रहा। वे अक्सर कॉलेज टीम का हिस्सा बनकर स्थानीय टूर्नामेंट्स में हिस्सा लेते थे और अपनी टीम को जीत दिलाते थे।

यहीं से श्रेयस का खेल और निखरने लगा। पढ़ाई के साथ-साथ उन्होंने क्रिकेट को लेकर पेशेवर रवैया अपनाना शुरू कर दिया था। कॉलेज के दिनों में ही उन्होंने क्रिकेट क्लब जॉइन किया और नियमित अभ्यास शुरू किया। उनके कोच प्रवीण अमरे ने उनकी तकनीक को सुधारने और मानसिक दृढ़ता को मजबूत बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

दिलचस्प बात यह है कि पढ़ाई के दौरान ही श्रेयस को उनके बैचमेट्स और प्रोफेसर्स “यंग वीरेंद्र सहवाग” कहकर बुलाने लगे थे, क्योंकि उनके खेल में वही निडरता और आक्रामकता दिखाई देती थी। हालांकि श्रेयस ने हमेशा संतुलन बनाए रखा और पढ़ाई को पूरी तरह से नज़रअंदाज़ नहीं किया।

शिक्षा के दौर में ही उन्हें यह समझ आ गया था कि उनका जीवन क्रिकेट को ही समर्पित होगा। उन्होंने अपनी पढ़ाई को आधार बनाते हुए खेल में अनुशासन और गंभीरता बनाए रखी। यही वजह है कि शिक्षा और क्रिकेट दोनों को साथ लेकर चलने वाले श्रेयस अय्यर आज भारतीय क्रिकेट में एक बड़ी पहचान बना चुके हैं।


Beginning of Cricket Career (क्रिकेट करियर की शुरुआत)


श्रेयस अय्यर का क्रिकेट करियर स्कूल और कॉलेज स्तर पर शानदार प्रदर्शन से शुरू हुआ। बचपन से ही वे क्रिकेट के प्रति गंभीर थे और घंटों नेट्स पर अभ्यास किया करते थे। उनकी मेहनत का नतीजा यह हुआ कि बहुत जल्दी उन्हें स्थानीय टूर्नामेंट्स में खेलने का मौका मिलने लगा।

उनकी असली पहचान तब बनी जब वे मुंबई की अंडर-16 और अंडर-19 टीम का हिस्सा बने। अंडर-19 स्तर पर उनकी बल्लेबाजी इतनी प्रभावशाली रही कि चयनकर्ताओं ने उन पर विशेष ध्यान देना शुरू कर दिया।
उनकी प्रतिभा का बड़ा उदाहरण 2014 के अंडर-19 वर्ल्ड कप में देखने को मिला, जहाँ वे भारत की अंडर-19 टीम का हिस्सा बने। टूर्नामेंट में उनके शॉट्स और आत्मविश्वास भरी बल्लेबाजी ने उन्हें अलग पहचान दिलाई।

इसके बाद उनका चयन घरेलू क्रिकेट (Domestic Cricket) में मुंबई की रणजी टीम के लिए हुआ। उन्होंने अपने रणजी डेब्यू मैच से ही यह साबित कर दिया कि वे लंबे फॉर्मेट के खिलाड़ी हैं।
2014-15 रणजी ट्रॉफी में उन्होंने 800 से ज्यादा रन बनाए, जो किसी भी नए खिलाड़ी के लिए बड़ी उपलब्धि थी। इसके बाद 2015-16 रणजी ट्रॉफी सीज़न उनके करियर का टर्निंग प्वाइंट साबित हुआ। उस सीज़न में श्रेयस ने 1321 रन बनाए, जो रणजी ट्रॉफी के इतिहास में किसी भी बल्लेबाज का दूसरा सबसे बड़ा सीज़न स्कोर था। उनकी औसत (Average) 73 से ज्यादा रही और उन्होंने कई शतक और अर्धशतक लगाए।

इतना ही नहीं, उसी सीज़न में उन्होंने कई बार मुंबई को मुश्किल परिस्थितियों से निकालकर जीत दिलाई। उनकी बल्लेबाजी में परिपक्वता, तकनीक और आक्रामकता का अद्भुत संतुलन दिखाई दिया। यही वजह थी कि उन्हें जल्द ही भारतीय क्रिकेट का भविष्य कहा जाने लगा।

श्रेयस अय्यर का प्रदर्शन सिर्फ रणजी तक सीमित नहीं रहा। वे इंडिया ए टीम का हिस्सा बने और यहाँ भी उन्होंने लगातार रन बनाए। घरेलू टूर्नामेंट जैसे विजय हजारे ट्रॉफी और सैयद मुश्ताक अली ट्रॉफी में भी उन्होंने शानदार बल्लेबाजी की। धीरे-धीरे उनका नाम उन खिलाड़ियों की लिस्ट में शामिल हो गया जिन्हें भविष्य में टीम इंडिया के लिए खेलना तय माना जा रहा था।

उनकी शुरुआती क्रिकेट यात्रा यह दर्शाती है कि वे सिर्फ टैलेंट के भरोसे नहीं, बल्कि निरंतर मेहनत और समर्पण से आगे बढ़े। यही जज़्बा आगे चलकर उन्हें आईपीएल और अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट तक ले गया।


IPL Career (आईपीएल करियर)


श्रेयस अय्यर का इंडियन प्रीमियर लीग (IPL) सफर बेहद खास और प्रेरणादायी रहा है। आईपीएल ने उन्हें न केवल पहचान दी, बल्कि अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट तक पहुँचने का रास्ता भी आसान बना दिया।

आईपीएल में एंट्री (2015)


2015 के आईपीएल सीज़न में उन्हें दिल्ली डेयरडेविल्स (अब दिल्ली कैपिटल्स) ने 2.6 करोड़ रुपये की बड़ी बोली लगाकर अपनी टीम में शामिल किया। यह उस समय के लिए किसी अनकैप्ड भारतीय खिलाड़ी पर खर्च की गई सबसे बड़ी रकम में से एक थी।
श्रेयस ने उम्मीदों पर खरा उतरते हुए अपने पहले ही सीज़न में बेहतरीन प्रदर्शन किया और सबका ध्यान खींचा। उन्होंने सीज़न में 30 से ज्यादा की औसत और 128 के स्ट्राइक रेट से रन बनाए। उनके साहसी शॉट्स और आत्मविश्वास भरी बल्लेबाजी ने उन्हें फैंस का चहेता बना दिया। इसी सीज़न में उन्हें “इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर (Emerging Player of the Year)” का अवॉर्ड भी मिला।


दिल्ली कैपिटल्स के कप्तान बने


2018 में श्रेयस अय्यर की जिंदगी में बड़ा मोड़ आया, जब उन्हें दिल्ली डेयरडेविल्स का कप्तान नियुक्त किया गया। वे उस समय मात्र 23 साल के थे और इतने युवा खिलाड़ी को कप्तानी मिलना एक बड़ी उपलब्धि थी। उनकी कप्तानी में टीम ने नई ऊर्जा और जोश के साथ खेलना शुरू किया।
श्रेयस ने कप्तानी संभालते ही अपनी पहली कप्तानी पारी में 93 रन की तूफानी पारी खेलकर टीम को जीत दिलाई और यह साबित कर दिया कि वे सिर्फ खिलाड़ी ही नहीं बल्कि एक अच्छे लीडर भी हैं।

टीम को नई ऊँचाइयों तक पहुँचाया


श्रेयस की कप्तानी में दिल्ली की टीम ने शानदार प्रदर्शन किया।

2019 में दिल्ली कैपिटल्स ने लंबे समय बाद प्लेऑफ़ (Playoffs) में जगह बनाई।

2020 का आईपीएल सीज़न तो ऐतिहासिक रहा, जब उनकी कप्तानी में दिल्ली कैपिटल्स पहली बार आईपीएल फाइनल तक पहुँची। हालांकि टीम को फाइनल में मुंबई इंडियंस से हार का सामना करना पड़ा, लेकिन श्रेयस अय्यर की कप्तानी और बल्लेबाजी की जमकर सराहना हुई।

चोट और वापसी


2021 में श्रेयस को कंधे की चोट के कारण आईपीएल से बाहर होना पड़ा। उनकी अनुपस्थिति में दिल्ली की कप्तानी ऋषभ पंत को सौंपी गई। यह श्रेयस के लिए कठिन समय था, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी और सर्जरी के बाद कड़ी मेहनत करके मैदान पर वापसी की।
वापसी के बाद उन्होंने दिखाया कि वे अभी भी उसी लय में बल्लेबाजी कर सकते हैं। हालांकि कप्तानी उनके हाथ से निकल गई, लेकिन उनके खेल ने फैंस के बीच उन्हें और भी मजबूत पहचान दी।

आईपीएल में योगदान


श्रेयस अय्यर ने आईपीएल में अब तक कई शानदार पारियाँ खेली हैं। वे मिडिल ऑर्डर में अपनी स्थिरता और तेजी दोनों के लिए जाने जाते हैं। उनकी बल्लेबाजी की खासियत यह है कि वे पारी को एंकर भी कर सकते हैं और जरूरत पड़ने पर आक्रामक अंदाज में भी खेल सकते हैं।

उनकी सबसे बड़ी ताकत है दबाव में टीम को संभालना। यही कारण है कि वे आईपीएल में हमेशा अपनी टीम के लिए अहम खिलाड़ी साबित हुए हैं।



International Career (अंतर्राष्ट्रीय करियर)


श्रेयस अय्यर का अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट सफर बेहद प्रेरणादायक रहा है। घरेलू क्रिकेट और आईपीएल में शानदार प्रदर्शन करने के बाद उन्हें आखिरकार भारतीय टीम में मौका मिला। उनकी बल्लेबाजी में जो आत्मविश्वास और निरंतरता दिखाई देती थी, उसने उन्हें जल्दी ही टीम इंडिया का अहम खिलाड़ी बना दिया।

टी-20 अंतर्राष्ट्रीय डेब्यू


श्रेयस अय्यर ने भारत के लिए अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट की शुरुआत नवंबर 2017 में की। उनका पहला मैच न्यूजीलैंड के खिलाफ टी-20 इंटरनेशनल था। हालाँकि डेब्यू मैच में उन्हें ज्यादा बल्लेबाजी का मौका नहीं मिला, लेकिन उनकी बल्लेबाजी शैली और तकनीक ने चयनकर्ताओं को प्रभावित किया। अगले मैचों में उन्होंने आक्रामक शॉट्स लगाकर दिखा दिया कि वे लंबे समय तक भारतीय टीम का हिस्सा रहने वाले हैं।

वनडे करियर


टी-20 के कुछ समय बाद ही श्रेयस को वनडे टीम में शामिल किया गया। उन्होंने 10 दिसंबर 2017 को श्रीलंका के खिलाफ वनडे डेब्यू किया। अपने शुरुआती मैचों में ही उन्होंने शानदार पारियाँ खेलीं और मिडिल ऑर्डर में अपनी जगह पक्की कर ली।
2019 और 2020 में उनके प्रदर्शन ने सबका ध्यान खींचा। उन्होंने लगातार अर्धशतक और शतक लगाकर यह साबित कर दिया कि वे भारत के लिए लंबे समय तक उपयोगी खिलाड़ी हो सकते हैं। उनकी सबसे बड़ी ताकत है तेज़ स्ट्राइक रोटेशन और पारी को लंबा खींचने की क्षमता।
उनकी बेहतरीन पारियों में से एक 2020 में न्यूजीलैंड के खिलाफ रही, जहाँ उन्होंने शानदार शतक लगाकर भारत को मैच जिताया।

टेस्ट करियर


श्रेयस अय्यर ने अपने करियर का सबसे बड़ा मुकाम तब हासिल किया जब उन्हें नवंबर 2021 में न्यूजीलैंड के खिलाफ कानपुर टेस्ट में डेब्यू करने का मौका मिला।
अपने डेब्यू टेस्ट में ही उन्होंने 105 रन की शानदार शतकीय पारी खेली और इतिहास रच दिया। वे भारत के लिए डेब्यू टेस्ट में शतक लगाने वाले 16वें बल्लेबाज बने।
इतना ही नहीं, उन्होंने उसी मैच की दूसरी पारी में भी 65 रन बनाए। इस प्रदर्शन ने यह साबित कर दिया कि वे सिर्फ लिमिटेड ओवर क्रिकेट के खिलाड़ी नहीं, बल्कि लंबे फॉर्मेट में भी बेहतरीन बल्लेबाजी कर सकते हैं।

महत्वपूर्ण पारियाँ और योगदान


श्रेयस ने वेस्टइंडीज, श्रीलंका, ऑस्ट्रेलिया और दक्षिण अफ्रीका जैसी बड़ी टीमों के खिलाफ महत्वपूर्ण पारियाँ खेली हैं।

उन्होंने कई बार भारतीय टीम को मुश्किल परिस्थितियों से निकालकर जीत दिलाई।

वे खास तौर पर मिडिल ऑर्डर में आकर टीम को संभालने और पारी को आगे बढ़ाने के लिए जाने जाते हैं।


खेलने की भूमिका


भारतीय टीम में श्रेयस अय्यर को एक भरोसेमंद मिडिल ऑर्डर बल्लेबाज के रूप में देखा जाता है। जब टॉप ऑर्डर जल्दी आउट हो जाता है, तब श्रेयस पारी को संभालने का काम करते हैं।
उनकी बल्लेबाजी की सबसे बड़ी ताकत यह है कि वे तेज गेंदबाजों और स्पिनरों दोनों के खिलाफ निडर होकर खेलते हैं। खासकर स्पिन गेंदबाजी के खिलाफ उनका खेल बेहद शानदार है।

चुनौतियाँ और वापसी


अंतर्राष्ट्रीय करियर में श्रेयस को कई बार चोटों से जूझना पड़ा। 2021 में लगी कंधे की चोट और बाद में पीठ की तकलीफ ने उन्हें लंबे समय तक टीम से बाहर रखा। लेकिन उन्होंने हर बार शानदार वापसी की और यह दिखाया कि उनमें हार न मानने का जज़्बा है।

भविष्य की भूमिका


आज श्रेयस अय्यर भारतीय टीम के मिडिल ऑर्डर की रीढ़ माने जाते हैं। चाहे वनडे हो, टी-20 हो या टेस्ट, वे हर प्रारूप में अपनी छाप छोड़ चुके हैं। आने वाले वर्षों में उनसे और भी बड़े प्रदर्शन की उम्मीद है।



Playing Style (खेलने की शैली)


श्रेयस अय्यर की बल्लेबाजी शैली आक्रामक और आकर्षक है।

वे स्पिन और तेज दोनों गेंदबाजों के खिलाफ बेखौफ होकर खेलते हैं।

उनकी खासियत है गेंद को गैप में खेलकर स्ट्राइक रोटेट करना।

लॉन्ग-ऑन और मिड-विकेट पर उनके शॉट्स देखने लायक होते हैं।

वे फील्डिंग में भी शानदार हैं और कई बार अद्भुत कैच पकड़ चुके हैं।



Struggles and Injuries (संघर्ष और चोटें)


हर खिलाड़ी के करियर में उतार-चढ़ाव आते हैं। श्रेयस अय्यर भी इससे अछूते नहीं रहे।
2021 में उन्हें कंधे की गंभीर चोट लगी, जिसके कारण वे लंबे समय तक मैदान से बाहर रहे। इसी वजह से वे IPL 2021 की पहली हाफ और इंग्लैंड सीरीज़ से भी बाहर रहे।

चोट के बाद उन्होंने कड़ी मेहनत करके फिटनेस हासिल की और शानदार वापसी की। उनकी यह वापसी उनके संघर्ष और समर्पण का प्रतीक है।



Awards and Achievements (पुरस्कार और सम्मान)


श्रेयस अय्यर को उनके प्रदर्शन के लिए कई पुरस्कार और सम्मान मिले हैं, जिनमें से कुछ प्रमुख हैं –

इमर्जिंग प्लेयर ऑफ द ईयर (IPL 2015)

रणजी ट्रॉफी में सर्वाधिक रन बनाने वाले खिलाड़ी (2015-16 सीज़न)

भारतीय टीम के लिए कई बार मैन ऑफ द मैच और मैन ऑफ द सीरीज़ अवॉर्ड



Personal Life (निजी जीवन)


श्रेयस अय्यर का परिवार बेहद साधारण और संस्कारी है।

उनके पिता संतोष अय्यर उन्हें क्रिकेट में करियर बनाने के लिए हमेशा प्रेरित करते रहे।

उनकी माँ रोहिणी अय्यर ने हर कदम पर उनका साथ दिया।

श्रेयस को संगीत सुनना और फिल्में देखना भी पसंद है।

वे स्टाइलिश व्यक्तित्व के लिए भी युवाओं में काफी लोकप्रिय हैं।



Social Media and Popularity (सोशल मीडिया और लोकप्रियता)


श्रेयस अय्यर सोशल मीडिया पर भी काफी सक्रिय रहते हैं।

उनके इंस्टाग्राम और ट्विटर पर लाखों फॉलोअर्स हैं।

वे अक्सर अपनी फिटनेस, क्रिकेट और निजी जीवन की झलकियाँ फैंस के साथ साझा करते रहते हैं।


Future and Expectations (भविष्य और उम्मीदें)



भारतीय क्रिकेट में श्रेयस अय्यर को मिडिल ऑर्डर का मजबूत स्तंभ माना जाता है।
उनसे आने वाले समय में टेस्ट और वनडे दोनों प्रारूपों में बड़ी उम्मीदें हैं।
विशेषकर 2027 वर्ल्ड कप और आने वाली बड़ी सीरीज़ में उनकी भूमिका अहम रहने वाली है।


Conclusion (निष्कर्ष)


श्रेयस अय्यर की कहानी संघर्ष, मेहनत और समर्पण की कहानी है। एक साधारण परिवार से निकलकर उन्होंने अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेट में अपनी जगह बनाई और यह साबित किया कि अगर जुनून और मेहनत हो तो कोई भी सपना हकीकत में बदला जा सकता है।

आज वे लाखों युवाओं के लिए प्रेरणा बन चुके हैं। आने वाले वर्षों में वे निश्चित ही भारतीय क्रिकेट के सबसे बड़े सितारों में से एक बनेंगे।




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