Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय - MY THINKING

Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय

 Steve Jobs- स्टीव जॉब्स एक अमेरिकन बिजनेसमैन और अविष्कारक है | आज की दुनिया में शायद ही कोई शख्स हो जो इन्हें नही जानता हो | लेकिन ज़्यादातर जॉब्स  एप्पल इनकारपोरेशन के सह-संस्थापक, अध्यक्ष और चीफ एग्जीक्यूटिव ऑफिसर (CEO) के कारण जाने जाते हैं | दुनिया की सबसे बड़ी और प्रसिद्ध मोबाइल कंपनी Apple के रचयिता स्टीव जॉब्स का जीवन जन्म से ही संघर्ष पूर्ण रहा है | इनके जीवन से सभी लोगो को एक प्रेरणा मिलती है | कि अगर आप सच्चे मन से और अपनी मेहनत से कुछ करना चाहो तो इस दुनिया में असंभव कुछ भी नही | स्टीव जॉब्स ने 56 साल के अपने छोटे से जीवन काल में बहुत बड़े और महान कार्य किये | स्टीव जॉब्स किसी बड़ी डिग्री को हासिल तो नही कर पाए थे और अपनी पढाई भी पूरी नही कर पाए थे इनकी कॉलेज की पढाई बीच में ही छुट गयी थी | लेकिन इन सब के बावजूद इन्होने दुनिया का सबसे बेहतरीन ऑपरेटिंग सिस्टम मैक का निर्माण किया जो बड़े बड़े अच्छे इंजीनियरों का बस एक सपना बनकर रह जाता है | Apple company के co-founder steve jobs आज हमारे बीच नही हैं लेकिन अपने इनोवेशन के ज़रिये वो आने वाले दशको तक करोड़ो दिलो में राज करेंगे |
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Steve Jobs Biography in Hindi 

Steve Jobs Biography in Hindi | स्टीव जॉब्स का जीवन परिचय


स्टीव जॉब्स का जन्म 24 फ़रवरी 1955 को कैलिफ़ोर्निया सैन फ्रांसिस्को में हुआ था | स्टीव जॉब्स के पिता का नाम अब्दुल्फत्तः जॉन जन्दाली था और माता का नाम जोअन्नी सिम्पसन था और कॉलेज टाइम में ही दोनों एक दुसरे के करीब आ गये थे | इनके पिता मुस्लिम थे जो सीरिया के रहने वाले थे और इनकी माता सिम्पसन एक कैथलिक इसाई थी | सिम्पसन के पिता को इन दोनों का रिश्ता मंज़ूर नही था | और सिम्पसन कॉलेज लाइफ में ही बिन बिहाई माँ बन गयी थी | इसी वजह से स्टीव जॉब्स की माता ने इन्हें किसी और को गोद देने का फैसला कर लिया था | लेकिन वो स्टीव जॉब्स को एक ऐसे परिवार को गोद देने चाहती थी जो पढ़ा लिखा हो और उनके बच्चे की परवरिश ठीक तरह से कर सकें | स्टीव जॉब्स के जन्म से पहले ही इन्हें एक पढ़े लिखे परिवार ने गोद लेने का फैसला कर लिया था | लेकिन स्टीव जॉब्स के जन्म के बाद उस परिवार यह कर स्टीव को गोद लेने से मना कर दिया कि वह एक लड़की को गोद लेना चाहते थे | फिर इसके बाद स्टीव जॉब्स को कैलिफ़ोर्निया में रहने वाले पॉल और कालरा जॉब्स ने गोद ले लिया | पॉल और कालरा दोनों ही ज़्यादा पढ़े लिखे नही थे और मिडिल क्लास फैमिली से ताल्लुक रखते थे | और स्टीव जॉब्स की जैविक माँ चाहती थी कि उनके बेटे को कोई पढ़ा लिखा परिवार मिले इसलिए वह इन्हें गोद देते समय थोड़ा घबराई लेकिन कालरा जॉब्स ने उन्हें विश्वास दिलाया कि वह स्टीव जॉब्स को कॉलेज ज़रूर भेजेंगे | इसके बाद 1961 में जब स्टीव जॉब्स 5 साल के हुए तो उनका परिवार कैलिफ़ोर्निया के पास ही स्थित माउंटेन व्यू में रहने चला गया | पॉल जॉब्स एक मैकेनिक थे और स्टीव जॉब्स को इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बारे में बचपन में ही बताना शुरू कर दिया था और कालरा जॉब्स एक अकाउंटेंट थी वो स्टीव जॉब्स को पढाई में मदद किया करती थी |

Steve Jobs Education | स्टीव जॉब्स की शिक्षा


स्टीव जॉब्स के पिता पॉल जॉब्स ने माउंटेन व्यू में अपना घर चलाने के लिए एक गेराज खोला और स्टीव जॉब्स का दाखिला मोंटा लोमा स्कूल में करा दिया  वहीँ से स्टीव जॉब्स अपनी शुरुआती शिक्षा पूरी की | स्टीव जॉब्स को इलेक्ट्रॉनिक चीजों के बारे में जानने का बचपन से ही शौक था वह इलेक्ट्रॉनिक सामान को पहले तोड़ा करते थे और फिर उन्हें जोड़ा करते थे | स्टीव जॉब्स पढाई में तो बहुत अच्छे थे लेकिन उन्हें स्कूल जाना पसंद नही था वह अपनी उम्र के बच्चो से दोस्ती भी नही किया करते थे क्योंकि उन्हें अकेले बैठना ज़्यादा पसंद था | 13 साल की उम्र स्टीव जॉब्स की मुलाकात वोजनियाक से हुई जो उन्ही की तरह पढाई में होशियार थे और वोजनियाक को भी इलेक्ट्रॉनिक चीजों में काफी दिलचस्पी थी, जल्द ही दोनों में गहरी दोस्तों हो गयी | हाई स्कूल की पढाई पूरी करने के बाद स्टीव जॉब्स का दाखिला ओरेगन के रीड कॉलेज में हुआ जो वहां का सबसे महंगा कॉलेज था, जिसकी फीस इनके माता पिता पॉल और कालरा बड़ी मुश्किल से जमा कर पाते थे उन्होंने अपने बेटे की पढाई के लिए अपने जीवन की सभी जमा पूंजी लगा दी | लेकिन फिर भी फीस पूरी नही हो पाती थी | इसलिए स्टीव जॉब्स ने फीस भरने के लिए कोक की बोतल बेचकर पैसे जुटाते और पैसे की कमी के कारण मंदिरों में जाकर वहां मिलने वाला मुफ्त खाना खाया करते थे | और अपने हॉस्टल का किराया बचाने के लिए अपने दोस्तों के कमरे में जाकर ज़मीन पर ही सो जाया करते थे | इतना सब कुछ करने के बाद भी वह फीस के पुरे पैसे नही जुटा पाते थे | थोड़े ही दिनों बाद स्टीव जॉब्स को अहसास हुआ कि वे इस कॉलेज में आकर अपने माता-पिता के पैसे बर्बाद कर रहें हैं और यहाँ रहकर उन्हें भविष्य में कोई फायदा नही मिलने वाला | और अपने माता पिता को कड़ी मेहनत करते देख स्टीव जॉब्स ने कॉलेज छोड़कर उनकी मदद करने की सोची | लेकिन उनके माता पिता उनके इस फैसले से सहमत नही हुए | स्टीव जॉब्स पढने लिखने में काफी अच्छे थे इसलिए इन्होने अपने माता-पिता के कहने पर कॉलेज में नही जाने के स्थान पर क्रिएटिव क्लासेज जाना स्वीकार किया | जल्दी ही उनकी इसमें रूचि बढ़ने लगी और अब वह वही क्लास ज्वाइन किया करते थे जिनमे उनकी रूचि थी !

Early Career of Steve Jobs | स्टीव जॉब्स का शुरुआती करियर


कॉलेज जाने के साथ-साथ स्टीव जॉब्स ने अटारी नामक विडियो गेम डेवलपिंग कंपनी में एक Technician के तौर पर काम करने लगे |  कुछ टाइम के बाद यहाँ भी इनका मन न लगा, और पैसे इकट्ठे करके 1974 में भारत घुमने चले आये | भारत में इन्होने 7 महीने गुज़ारे और बोध्द धर्म के बारे में जानने के लिए पढाई की | यहाँ उन्होंने दिल्ली, उत्तर प्रदेश और हिमाचल प्रदेश का बस से ट्रिप किया | काफी समय भारत में गुज़ारने के बाद उन्होंने बोध्द धर्म को अपना लिया अपना सर मुंडवा लिया और बोध्द भिक्षु जैसे कपड़े पहनना शुरू कर दिया पूरी तरह से अध्यात्मिक हो गए | इसके बाद वह वापस भारत से कैलिफ़ोर्निया चले गए | स्टीव जॉब्स ने फिर से अटारी में जॉब ज्वाइन की और अपने माता-पिता के साथ रहने लगे |

Apple Company Started | एप्पल कंपनी की शुरुआत


स्टीव जॉब्स और उनके स्कूल के दोस्त वोजनियाक दोनों में काफी गहरी दोस्ती थी | वोजनियाक स्टीव से उम्र में बड़े थे और उनके सीनियर भी थे | लेकिन दोनों को ही इलेक्ट्रॉनिक में काफी ज़्यादा रूचि थी | वोजनियाक अपना खुद का एक कंप्यूटर बनाना चाहते थे | और वोजनियाक को इलेक्ट्रॉनिक की काफी अच्छी समझ भी थी इसलिए उन्होंने एक पर्सनल कंप्यूटर का निर्माण किया यह देख स्टीव जॉब्स काफी खुश हुए अब स्टीव के दिमाग में यह विचार आया कि दोनों साथ मिलकर एक कंप्यूटर बनाने वाली कंपनी खोले और कंप्यूटर बेचें | स्टीव जॉब्स ने वोजनियाक के साथ मिलकर सन 1976 में महज़ 20 साल की उम्र में एप्पल कंपनी की शुरुआत की | स्टीव जॉब्स ने वोजनियाक के साथ मिलकर अपने पिता गेराज में एक ऑपरेटिंग सिस्टम मैकिनटोश तैयार किया | और इसे बेचने के लिए एप्पल कंपनी का निर्माण करना चाहते थे | लेकिन पैसो की कमी के कारण समस्या आ रही थी | उनकी यह समस्या उनके एक दोस्त मर्कुल्ला ने दूर करदी और साथ ही वह कंपनी में साझेदार भी बन गये | अब स्टीव जॉब्स और वोजनियाक दोनों ने साथ मिलकर एप्पल कंपनी की शुरुआत   की | एप्पल कंपनी के पहले कंप्यूटर का नाम एप्पल 1 रखा गया | कुछ समय के बाद वोजनियाक ने एप्पल 2 पर काम करना शुरू कर दिया | इसके बन जाने के बाद इसे इन्वेस्टर के सामने रखा गया और स्टीव और वोजनियाक ने कई जगह इन्वेस्टर को इसमें इन्वेस्ट करने के लिए मनाने की कोशिश और साथ ही उन्होंने अपने साथ काम करने के लिए पेप्सी कोका कोला कंपनी के मुख्य अधिकारी जॉन स्कली को भी अपने साथ शामिल कर लिया. एप्पल 2 लोगो को बहुत ज़्यादा पसंद आया और कंपनी बहुत तेज़ी आगे बढ़ने लगी | स्टीव जॉब्स और वोजनियाक की कड़ी मेहनत के कारण 1980 के अंत तक यह एक जानी मानी कंपनी बन गयी | कुछ ही सालो में एप्पल कंपनी गेराज से बढ़कर 2 अरब डॉलर और 4 हज़ार कर्मचारियों वाली कंपनी बन गयी थी !  

Resign From Apple Company | एप्पल कंपनी से इस्तीफा


एप्पल एक अब एक बड़ी कंपनी बन चुकी थी | लेकिन उनकी ये उपलब्धि ज्यदा देर तक नही रह पाई | साझेदारो में आपस में कहासुनी के कारण एप्पल की लोकप्रियता कम होने लगी और स्टीव जॉब्स को सभी साझेदार न पसंद करने लगे धीरे धीरे कंपनी पूरी तरह से क़र्ज़ में डूब गयी | और बोर्ड ऑफ डायरेक्टर की मीटिंग में सारा दोष स्टीव जॉब्स का ठहराकर सन 1985 में उन्हें एप्पल कंपनी से बाहर कर दिया गया | उनके जीवन का यह सबसे बुरा दिन था क्योंकि जिस कंपनी को उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और लगन के साथ बनाया था उसी कंपनी से उन्हें निकल दिया गया | स्टीव जॉब्स के जाते ही कंपनी पूरी तरह से क़र्ज़ में डूब गयी थी |

Next Computer


एप्पल कंपनी इस्तीफा देने के 5 साल बाद स्टीव जॉब्स ने next-ink और pixer नाम की दो कंपनियां खोली | next-ink में उपयोग की जाने वाली तकनीक उत्तम थी और उद्देश्य बेहतरीन सॉफ्टवेर बनाना था और pixer कंपनी में animation का काम होता था | एक साल तक काम करने के बाद कंपनी में पैसो की कमी आने लगी | पैसो की समस्या को दूर करने के लिए कंपनी ने Rosh perot के साथ साझेदारी कर ली और perot ने अपने पैसे का निवेश इस कंपनी में किया | सन 1990 में next-ink ने अपना पहला कंप्यूटर बाज़ार में उतारा लेकिन इसका प्राइस बहुत ज़्यादा होने के कारण बाज़ार में नहीं चल सका | फिर next-ink ने inter personal computer बनाया जो बहुत ही लोकप्रिय हुआ | और pixer ने एनिमेटेड फिल्म Toy story बनाई जो अब तक की सबसे अच्छी फिल्म है !

Return to Apple Company | एप्पल कंपनी में वापसी


सन 1996 में एप्पल ने स्टीव जॉब्स की pixer को ख़रीदा इस तरह स्टीव की एप्पल में वापसी हुई | सन 1997 में उनकी कड़ी मेहनत के कारण कंपनी का प्रॉफिट बढ़ गया और स्टीव जॉब्स एप्पल कंपनी के chief executive officer (सीईओ) बन गये | सन 1998 में उन्होंने I-mac, I-pad, Apple store, I-phone, I-tune भी लॉन्च किये | सन 2011 में स्टीव जॉब्स सी.ई.ओ पद से इस्तीफा दे दिया और बोर्ड के अध्यक्ष बन गये | उस वक़्त तक उनकी प्रॉपर्टी 7 बिलियन डॉलर हो गयी थी | और एप्पल कंपनी दुनिया की दूसरी सबसे बड़ी कंपनी बन चुकी थी !

Steve Jobs Death | स्टीव जॉब्स की मृत्यु


स्टीव जॉब्स को अक्टूबर 2003 में कैंसर जैसी खतरनाक बीमारी का पता चला उन्हें अग्नाशय का कैंसर था | जुलाई 2004 को स्टीव जॉब्स को पहली सर्जरी हुई | जिसमे उनके ट्यूमर को सफलतापूर्वक निकाल लिया गया | उनकी गेरमोजुदगी में टीम कुक एप्पल कंपनी को संभल रहे थे | क्योंकि इस समय स्टीव मेडिकल लीव पर थे | लेकिन स्टीव का स्वास्थ्य दिन पर दिन बिगड़ता चला गया 2009 में उनकी हालत काफी बिगड़ गयी | इतनी परेशानी के बाद भी उन्होंने 17 जनवरी 2011 वापस एप्पल में आकर काम करना शुरू कर दिया | उनका स्वास्थ्य अभी भी काफी खराब था लेकिन स्टीव को अपने काम से काफी लगाव था | वे रोज़ कंपनी आते थे ताकि लोगो को बेहतरीन से बेहतरीन टेक्नोलॉजी प्रदान कर सकें | और कैंसर की बीमारी के चलते 5 अक्टूबर 2011 को कैलिफ़ोर्निया के Paalo Aalto में स्टीव जॉब्स की मृत्यु हो गयी !  


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